Sunday, September 13, 2009

सोच-समझके करें निवेश

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नीरज नैयर
शेयर बाजार में पूंजी लगाने वालाें के लिए मौजूदा वक्त खुशनुमा कहा जा सकता है, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों धीरे-धीरे ही सही पर ऊपर की तरफ बढ़ रहे हैं. मंगलवार यानी आठ सितंबर को बाजार खुलते ही सेंसेक्स और निफ्टी इस साल के अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गए, निफ्टी 38.40 अंकों की तेजी के साथ 4800 अंक पार कर गया, जबकि सेंसेक्स 122 की बढ़त लेता हुआ 16139.27 तक जा पहुंचा. बाजार में हर थोड़े अंतराल के बाद इस तरह की बढ़ोतरी निवेशकों का भरोसा कायम रखने के लिए जरूरी है. बाजार ने बीते कुछ समय में बहुत बुरा दौर देखा है, 21-22 हजार के आंकड़े को छूने के बाद जिस तरह से सेंसेक्स ने गोता लगाया था उससे काफी तादाद में निवेशक छिटककर बाजार से दूर चले गये लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता वह फिर लौटने लगे हैं. अब तक अपना हाथ रोककर बैठे नवागान्तुक भी शेयर बाजार के रुख से सहमत होकर निवेश करने लगे हैं, इसी का नतीजा है कि पिछले साल के मुकाबले बाजार इस बार यादा संभला नजर आ रहा है.

2008 में दिवाली के आस-पास बाजार में संन्नाटा पसरा था, लेकिन अब तक जो संकेत मिल रहे हैं उससे कहा जा सकता है कि इस बार की दिवाली अंधकारमय नहीं होगी. शेयर बाजार आज जिस 16 हजार की ऊंचाई पर है, इसका अधारा सही मायनों में देखा जाए तो 18 मई की बढ़त रही, भारतीय शेयर बाजारों के इतिहास में संभवत: पहला मौका था जब बार एक दिन में तीन बार सर्किट लगाए गये. शेयर बाजार में दस प्रतिशत से अधिक की वृध्दि आने पर सर्किट लगाया जाता है. बाजार खुलते ही अप्रत्याशित बढ़त के चलते कारोबार दो घंटे के लिए रोकना पड़ा था इसके बाद 11:55 पर दोबारा शुरू होते ही दोनों प्रमुख सूचकांकों में फिर जबरदस्त तेजी आई. दिन भर में बमुश्किल 10 मिनट की ट्रेडिंग के बाद कुल 17 प्रतिशत बढ़त के साथ कारोबार वहीं रोक देना पड़ा. सेंसेक्स 17.34 प्रतिशत अर्थात 2110.79 अंक उछलते हुए 14254.21 अंकों के स्तर पर जा पहुंचा. निफ्टी ने भी 17.64 फीसदी की बढ़त लेते हुए 4323.15 के स्तर तक दौड़ लगाई. सेंसेक्स में आई ऐतिहासिक तेजी ने निवेशकों को मात्र एक मिनट में 6.5 लाख करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया. हालांकि बाजार को 14000 से 16000 तक पहुंचने में करीब तीन माह का समय लगा जो एक-दो साल पूर्व की रफ्तार के मुकाबले काफी कम है, पर फिर भी यह बढ़त लंबे समय तक छाई खामोशी के गम को कुछ वक्त के लिए दूर करने के लिए काफी है. अगर हम अप्रत्याशित वृध्दि के दौर से पहले की बात करें तो बाजार कछुआ गति से ही बढ़ता था, न कभी उसमें इतना यादा उछाल आता था और न कभी इतनी गिरावट. मगर जब से शार्ट टर्म सट्टेबाजों ने बाजार में दिल खोलकर पैसा लगाना शुरू किया है बाजार में अस्थिरता का संकट अधिक मंडराने लगा है, अक्सर छोटे निवेशक मंदी के दौर में डूबने के डर से बाजार से निकलने की जल्दबाजी में धड़ाधड़ बिकवाली करके बाजार का बैंड बजा देते हैं.

शेयर बाजार का इतिहास रहा है कि जिसने भी बाजार में लंबा टिकने का साहस दिखाया है, मुनाफा भी उसी ने कमाया है. शर्ट टर्म सट्टेबाजों के अलावा बाजार में आने वाले अप्रत्याशित बदलाव का एक और प्रमुख कारण है विदेशी संस्थागत निवेश, विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में मुनाफा कमाने के इरादे से दिलखोलकर निवेश करते हैं, और जब उन्हें घाटे की आशंका दिखलाई देती है तो फटाफट अपना बोरिया बिस्तर समेटकर बाजार को चौपट कर निकल जाते हैं. दरअसल भारतीय बाजार में विदेशी निवेश को लेकर हमारे यहां कोई गाइडलाइन निर्धारित नहीं है. समय-समय पर कई वित्तीय संस्थान और प्रख्यात उद्योगपति राहुल बजाज भी विदेशी निवेश पर नियंत्रण की बात कहते रहे हैं. कुछ वक्त पहले जब बाजार घड़ाम से गिरा था तब इस दिशा में कठोर कदम उठाने की बातें कही गई थी मगर इतना लंबा समय गुजरने के बाद भी ऐसी कोई खबर सुनने को नहीं मिली है.

सरकार इस बात पर खुश भले ही हो सकती है कि बाजार फिलहाल पल में तोला पल में माशा वाली स्थिति में नहीं है, लेकिन आर्थिक मंदी के दौर में जब दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था यानी अमेरिकी दिवालियापन के हालात से गुजर रहा है, ऐसी स्थिति की कल्पना भी नहीं की जा सकती. असल तस्वीर तो तब नजर आएगी जब मंदी का भूत पूरी तरह से पीछा छोड़ देगा. अभी विदेशी निवेशक खुद घाटे में डूबे हुए हैं, और जब वो खुद को इससे उबरने के हालात में पाएंगे तभी भारत की तरफ रुख करने का साहस दिखा पाएंगे. वैसे देखा जाए तो हाल-फिलहाल का वक्त बाजार में पैसा इनवेस्ट करने के लिए सबसे माकूल है, पर फिर भी अंधाधुन हाथ आजमाने की आदत से अभी बचना चाहिए. बिना सोचे समझे और दूसरों की बातों में आकर पैसा फंसाने का निर्णय लेना जोखिम भरा साबित हो सकता है.

बाजार में यदि सही रणनीति एवं पर्याप्त अध्ययन के साथ उतरा जाए तो नुकसान की संभावना काफी कम रहती है. आजकल कुछ ऐसी वेबसाइट भी मौजूद हैं जो इस दिशा में सही मार्गदर्शन करती हैं, कुछ एक तो अपने गुणा-भाग के आधार पर निवेशकों को यह तक बता रही हैें कि किन शेयरों में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है. बिजनेसदुनिया डॉट कॉम के आंकलन इस मामले में काफी सटीक जा रहे हैं. सोच-विचारकर निवेश करने वालों के लिए यह वेबसाइट सहायक सिध्द हो सकती है. फिर भी अंत में यह कहना उचित रहेगा कि किसी भी निर्णय तक पहुंचने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल जरूर करें.

3 comments:

विवेक रस्तोगी said...

धन्यवाद एक नई वेब साईट के लिये। सोच समझकर ही फ़ैसले लेने चाहिये आखिरकार पैसा अपनी जेब से ही लग रहा है और मुनाफ़ा या घाटा अपने को ही लेना है।

Amit K Sagar said...

मैं आपको एक अरसे से बड़ी खामोशी के साथ लिखते हुए देखता आ रहा हूँ. आपका हर लेख-आलेख हर विषय पर इतना सशक्त होता है कि मैं खुद भी आपसे कहना चाहूंगा कि कुछ ऐसा करिए ताकि आपके लेख-आलेख और लोगों तक भी पहुंचे. ताकि लेखन और भी सार्थकता पा सके. अच्छी चीज़ों को हम जितना बाँटेंगे, हमारे समाज या फिर देश के लिए उतना ही हम योगदान दे रहे हैं.
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जारी रहें.
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क्या आप लिखना चाहेंगे उल्टा तीर पर- विजिट करें- होने वाली एक क्रान्ति- http://ultateer.blogspot.com

Unknown said...

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