Sunday, July 5, 2009

पोर्नोग्राफी का फैलता कारोबार

नीरज नैयर
इंटरनेट पर अशीलता परोसने वाली सैंकड़ों वेबसाइटों मौजूद हैं और इन वेबसाइट्स का ट्रैफिक दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. सरकार ने सविताभाभी नामक वेबसाइट को बैन करके इस चेन में से एक कड़ी को कम करने की कोशिश की है. मार्च 2008 में लांच की गई इस वेबसाइट को ढेरों शिकायतें मिलने के बाद साइबर कानून के तहत बैन किया गया है सविता भाभी दरअसल अपनी सेक्स लाइफ से हताश एक महिला का कार्टून कैरक्टर है. साइट पर इसे कॉमिक के तौर पर अंग्रेजी और दूसरी भारतीय भाषाओं में परोसा जा रहा था. महज आठ महीनों में इस साइट पर 30 हजार से अधिक लोग रजिस्टर कर चुके हैं. एलेक्सा.कॉम के मुताबिक यह वेबसाइट दुनिया की 82वीं सबसे यादा देखी जानेवाली वेवसाइट बन गई है. हालांकि यह कवायद समुंदर के पानी से एक बूंद चुराने जैसी है लेकिन फिर भी इस तरह के कदम सामाजिक वातावरण की स्वच्छता बनाए रखने के लिए नितांत जरूरी हैं.

बीते कुछ वर्षों में ही इस तरह की वेबसाइटों में खासी बढ़ोत्तरी हुई है, एक अनुमान के मुताबिक तकरीबन 4.2 मिलियन साइट पोनोग्राफी को बढ़ावा दे रही हैं. प्रति सेकेंड करीब 28,258 लोग ऐसी वेबाइट्स को देखकर अपनी काम जिज्ञासाओं को शांत करने की कोशिश करते हैं, हर सेकेंड 3,075.64 अमेरिकी डॉलर पार्न साइटों पर खर्च किए जाते हैं. प्रति सेकेंड इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों में से 372 यूजर्स मौजूद विभिन्न सर्च इंजन्स में अडल्ट सर्च करते हैं, और हर दिन करीब 68 मिलियन यानी कुल सर्चिंग का 25 प्रतिशत.अमेरिका में 39 मिनट में एक नया वीडियो क्लिप बनकर तैयार हो जाता है. अशीलता के कारोबार में हमेशा से बहुत पैसा रहा है चाहे फिर कैसेट, सीडी क़े माध्यम से हो या फिर किसी और से. लेकिन इंटरनेट के चलन में तेजी आने के बाद ऑनलाइन सेक्स कारोबार ने सबको पछाड़ दिया है. आलम ये है कि आज पोर्नोग्राफी उद्योग को होने वाली आय के सामने गूगल, माइक्रोसाफ्ट, याहू, ईबे, एप्पल, एमाजोन जैसी नामी-गिरामी कंपनियों की सालाना आय कहीं नहीं ठहरती. इंटरनेट पर इस तरह की वेबसाइट तक पहुंचने के ढ़ेरों तरीके मौजूद हैं, गूगल जैसे सर्च इंजन के आने से ये काम और भी आसान हो गया है. बस संबंधित शब्द लिखकर सर्च करने भर से पोर्नवेबसाइट्स का पूरी दुनिया चंद सेकेंड़ में मॉनीटर स्क्रीन पर आ जाती है. कुछ वेबसाइट इसके लिए बाकायदा फीस वसूलती हैं जबकि कुछ फ्री में पोर्न साहित्य और तस्वीरे उपलब्ध कराती हैं. भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, इजिप्ट, ईरान,वियतनाम, तुक्री आदि देशों में इस तरह की साइट ढूंढने वाले यादातर सेक्स शब्द का प्रयोग करते हैं. जबकि दक्षिण अफ्रीका, आइरलैंड, न्यूजीलैंड, यूनाइटिड़ किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, नॉरवे और कनाड़ा आदि में पोर्न. पोर्नोग्राफी का सबसे अधिक कारोबार अमेरिका, ब्राजील, नीदरलैंड, स्पेन, रूस, जापान, जर्मनी, यूके, कनाड़ा, ऑस्ट्रेलिया में है. अमेरिकी प्रत्रिका प्लेबॉय तो विश्वभर में जाना पहचाना नाम है, अमेरिका के लॉस एंजिल्स, लॉस वेगास, मियामी, पोटलैंड, शिकागो, सेनफ्रांसिस्को आदि शहर इस तरह के कामों के लिए काफी प्रचलित है.

इंटरनेट पर अमेरिका के करीब 244,661,990, जर्मनी के 10,030,200, यूके के करीब 8,506,800, ऑस्ट्रेलिया के 5,655,800, जापान के 2,700,800, रूस के 1,080,600, पोलैंड के 1,049,600 और स्पेन के तकरीबन 852,800 पन्ने पोर्नोग्राफी परोस रहे हैं. अमेरिका की कुल आय में इस उद्योग की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है, इसकी बिक्री 1992 में 1.60 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2006 में 3.62 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है. भारत में भी यह बाजार चोरी-छिपे पैर पसारता जा रहा है, इस तरह की वेबसाइटों के माध्यम से वेश्यावृत्ति को भी बढ़ावा दिया जाता है. बहुत सी वेबसाइट्स पर डेटिंग के नाम पर बाकायदा मेटिंग करवाई जाती है. सविता भाभी जैसी वेबसाइट को लेकर सबसे बड़ी दिक्कत ये आती है कि ऐसी साइटों का कोई असल माई-बाप सामने नहीं आता, वो पर्दे के पीछे से बैठकर सारा खेल खेलता रहता है. इसलिए उन तक पहुंच पाना असंभव हो जाता है. सविता भाभी को देशमुख के छद्म नाम से चलाया जा रहा है और इसकी मालिक इंडियन पॉर्न स्टार एम्पायर नाम की कंपनी है. इस वेबसाइट का प्रभाव किस कदर बढ़ गया था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बेंगलुरु में पांचवीं में पढ़ने वाले एक बच्चे ने तो इस पात्र को देखकर अपनी टीचर का अश्लील एमएमएस तक कर डाला. बच्चे की उम्र महज 11 साल होने के कारण पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकी.

इस तरह की साइट न केवल विकृत मानसिकता को बढ़ावा देती हैं बल्कि बच्चों के स्वस्थ मानसिक विकास के लिए काफी घातक सिध्द होती हैं. यूटियूब जैसी बहुचिर्चित वेबसाइट पर भी कुछ वक्त पहते तक ऐसी सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाया करती थी पर अब शायद उसे थोड़ा बहुत नियंत्रित किया गया है, मगर मेटाकैफे अब उसकी जगह भरने के लिए मौजूद है. कहने का मतलब है कि एक के बाद एक साइट अस्तित्व में आती जा रही हैं और इंटरनेट पर अपने को स्थापित करने के लिए वो सब उपलब्ध करा रही हैं जो शायद आज यादातर लोग देखना चाहते हैं. अगर इस कड़ी में नवभारत डॉट कॉम को भी जोड़ा जाए तो कोई गलत नहीं होगा.

3 comments:

शरद कोकास said...

यह मनुष्य की आदिम भूख है इसे रोकना असम्भव है हाँ नियत्रित अवश्य किया जा सकता है

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

अच्छी जानकारी। इसे मनुष्य की प्रथम प्रवृत्ति के रूप में देखना होगा।

Arvind Mishra said...

इस विषय पर आप व्यथित हैं -उचित भी है !