Sunday, August 7, 2011

शेयर बाजार में गिरावट: डरने नहीं, मुनाफ कमाने का वक्त



नीरज नैयर
शेयर बाजार के हालात इस वक्त गमगीन हैं, गमगीन इसलिए कि एक दिन में निवेशकों को 1.33 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। इस एक लाख 33 हजार करोड़ में हजारों छोटे-बड़े निवेशकों का पैसा डूबा होगा। जो बड़े हैं, वो किसी तरह इस मार को सह जाएंगे लेकिन जिन्होंने अभी चलना सीखा था या जो छोटे-छोटे कदम बढ़ाने की हैसीयत रखते हैं उनके लिए इससे उबरना बहुत मुश्किल होगा। बाजार में इस तरह का माहौल अचानक ही बनता है, लेकिन उसके पीछे की वजह अचानक जन्म नहीं लेती। मौजूदा गिरावट अमेरिका में आर्थिक मंदी की आशंका से आई है, अमेरिका पर कर्ज बढ़ता जा रहा है। हालांकि कर्ज माफी बिल पर सहमति तो बन गई है, लेकिन बोझ इतना ज्यादा है कि मंदी का खतरा जल्द टलने वाला नहीं। बस, इसी खतरे के चलते निवेशक घबराए हुए हैं और बाजार गिर रहे हैं। भारत ही नहीं, अमेरिका सहित कई देशों के बाजार में नरमी का रुख है। यहां, सोचने वाली बात ये है कि अगर आशंका बाजार को दो साल पीछे ले जा सकती है तो आशंका के सच होने की दशा में क्या हाल होंगे। ऐसी स्थिति में अमूमन निवेशक भारी नुकसान से बचने के लिए धड़ाधड़ बिकवाली करते हैं, उन्हें लगता है कि आज बेच लो कल मौका मिले न मिले। ये मानसिकता सामान्य बाजार में तो कारगर हो सकती है, लेकिन शेयर बाजार बिल्कुल अलग है।

धड़ाधड़ बिकवाली, एक मामूली से बीमार इंसान को आईसीयू में पहुंचाने जैसी है। निवेशकों की घबराहट पूरे के पूरे बाजार को जार-जार कर देती है, और जाहिर है ऐसी स्थिति से निकलने में वक्त लगता है। शेयर बाजार में पूंजी निवेशकर मुनाफा कमाना हमेशा लॉंग टर्म इनवेस्टमेंट रहा है, लेकिन बीते कुछ सालों में शॉट टर्म इनवेटरों की भरमार हो गई है। ऐसे लोगों की तादाद काफी ज्यादा है, जिनकी नजर में शेयर कम वक्त में प्रॉफिट गेन का बहुत बढिय़ा विकल्प है। इस बढिय़ा विकल्प की सोच ने ही ऐसे निवेशकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी कर दी है जो बाजार में पैसा लगाते हैं और हल्की सी आशंका मात्र पर ही अपने हाथ खींच लेते हैं। नतीजतन, एक्सप्रेस की रफ्तार से दौड़े जा रहे बाजार की स्पीड पैसेंजर की माफिक हो जाती है। शेयर बाजार में निवेश धैर्य का खेल है, जिस किसी को ये खेल समझ आ गया उसके लिए मुनाफा कमाना कोई बड़ी बात नहीं। लेकिन अफसोस कि इसे समझने में लोग अक्सर चूक कर जाते हैं। गिरावट के वक्त हमेशा समझदारी से काम लेना चाहिए। धड़ाधड़ बिकवाली के बजाए जिन शेयरों में आपको मुनाफे की संभावना बेहद कम नजर आ रही हो केवल उन्हें ही निकालना चाहिए। अन्यथा थोड़े समय के लिए खामोश बैठने में ही भलाई है। शेयर बाजार में कभी एक जैसा रुख नहीं रहता, आज नरमी है तो कल अच्छे दिन भी आएंगे।

पिछली बार जब विश्व ने आर्थिक मंदी का सामना किया था तब भी शेयर बाजार एक ही झटके में कई साल पीछे पहुंच गया था। लेकिन फिर भी उसने वापसी की, धीरे-धीरे ही सही मगर वो पुराने मुकाम तक पहुंच गया। इसलिए ये सोच लेना कि बाजार गर्त में चला गया नादानी और बेवकूफी के सिवा कुछ नहीं। बाजार में मंदी के बादल ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सकते। हमारे यहां एक और धारणा है कि जब कभी भी बाजार गोते लगाता है, अच्छे से अच्छे निवेशक भी हाथ बांधे खड़े हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि अगर अब निवेश किया तो ताउम्र पछताना पड़ेगा। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। सही मायनों में देखा जाए तो खरीददारी का ये सबसे सुनहरा मौका है, ऐसे मौके बार-बार नहीं मिला करते। ये एक तरह से कभी-कभी लगने वाली बंपर सेल की तरह है, अगर आप सेल का लाभ लेने से नहीं चूकते तो फिर यहां घबराहट किस बात की? उदाहरण के तौर पर यदि आपके घर के बाहर कोई सब्जी वाला दो रुपए किलो टमाटर की आवाज लगाए तो क्या आप सिर्फ ये सोचकर कि कल तक तो 20 रुपए किलो थे आज दो रुपए कैसे हो गए, उसे जाने देंगे। शायद नहीं। तो फिर जब बड़ी-बड़ी कपंनियों के शेयर आलू-टमाटर के भाव मिल रहे हैं तो उनमें निवेश करने में बुराई क्या है? गिरावट के वक्त किया गया निवेश ज्यादा मुनाफे कमाने का नायाब तरीका है, वैसे जोखिम की संभावना तो हर पल बनी रहती है। लेकिन इस वक्त जोखिम का प्रतिशत काफी कम हो जाता है। हां, इसके लिए आपको धैर्य से काम लेना होगा। ऐसा बिल्कुल नहीं होगा कि आपने आज निवेश किया और कल आपको उसके दोगुने मिल जाएं।

यदि ऐसी सोच लेकर शेयर बाजार में किस्मत आजमाना चाहते हैं तो बेहतर होगा सोने-चांदी में निवेश करें। दीवाली आने वाली है, लिहाजा सोने-चांदी के रुख में नरमी के संकेत दूर-दूर तलक नजर नहीं आते। ऐसा संभवत: पहली बार हुआ है कि शेयर बाजार में गिरावट के बावजूद सोने के दामों में तेजी आई हो। सेंसेक्स के साथ अगर चलना है तो आपको धैर्य से काम लेना सीखना होगा। सस्ते दामों में आज खरीदे गए शेयर आने वाले कुछ वक्त में बेहतर प्रॉफिट दे सकते हैं। फिर भी निवेश करने से पहले अध्ययन जरूरी है। कुछ दिनों तक मार्केट को वॉच करें, जिन कंपनयिों के शेयर आप खरीदना चाहते हैं उनपर नजर रखें। जिन शेयरों में उतार-चढ़ाव ज्यादा हो रहा हो, उन्हें खरीदने में समझदारी है। उतार-चढ़ाव का मतलब दोनों बातों से है, मसलन, आज भाव बढ़ गए, कल गिरे तो परसों फिर चढ़ गए। ऐसे शेयर उन कंपनियों के शेयरों से ज्यादा मुनाफा दिला सकते हैं जो एक जगह काफी वक्त तक स्थिर हैैं। जिस तरह के हालात हैं, उसमें स्टॉक मार्केट अभी एक गोता और लगा सकता है। लिहाजा बाजार में निवेश की बेहतर संभावनाएं कुछ और वक्त तक बरकरार रहने वाली हैं। शेयर बाजार में उतरने से पहले लॉंग टर्म इनवेस्टमेंट की मानसिकता बनाएं, शॉट टर्म में कभी-कभी तत्कालिक फायदा तो हो सकता है, मगर नुकसान की संभावना भी हमेशा बनी रहती हैं। एक और बात जो सीखना बहुत जरूरी है, वो ये कि जब बाजार गिरावट की दिशा में जा रहा हो, निवेश करने से नहीं चूकें। जाने-माने इनवेस्टर वॉरेन बफेट ने कहा है, जब लोग डर रहे हों, तब आप लालची बन जाओ और जब लोग लालची हों तब आप थम जाओ। इसी लाइन पर आगे चलते हुए बफेट ने शेयर बाजार से बहुत कमाया, वो दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति का खिताब भी हासिल कर चुके हैं। अगर बफेट जैसा विशेषज्ञ कुछ कह रहा है तो निश्चित तौर पर उसके पीछे कुछ तर्क होंगे। इसलिए टीवी चैनलों पर छाय मातम से माहौल से बाहर निकलकर आगे की सोचें। इस वक्त शेयर बाजार से जुड़े लोग डरे हुए हैं, यानी निवेश का बेहतर माहौल है।

1 comment:

rohitashwa said...

व्यापार की क्लिष्ट भाषा को सरल सहज रूप में बदलकर बाजार की आशंकाओं को दूर किया और ये 'खुशखबरी' बाँट रहे हैं.. व्यापारियों के लिए आपका लेख उपयोगी लगा..